दिनकर जयंती


आज राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी की जयंती है ।  भारतीय ज्ञानपीठ, साहित्य अकादमी एवं पद्य भूषण से सम्मानित दिनकर जी रश्मिरथी, उर्वशी, कुरुक्षेत्र, संस्कृति के चार अध्याय जैसी महान कृतियों के रचयिता रहे ।  आपको शत शत नमन! उन्हें श्रद्धांजलि स्वरूप प्रस्तुत है उनकी प्रसिद्ध रचना -

‘जियो जियो अय हिंदुस्तान’

 

जाग रहे हम वीर जवान,

जियो जियो अय हिन्दुस्तान!

हम प्रभात की नई किरण हैं, 

हम दिन के आलोक नवल,

हम नवीन भारत के सैनिक, 

धीर, वीर, गंभीर, अचल।

हम प्रहरी उँचे हिमाद्रि के, 

सुरभि स्वर्ग की लेते हैं।

हम हैं शान्तिदूत धरणी के, 

छाँह सभी को देते हैं।

वीर - प्रसू माँ की आँखों के 

हम नवीन उजियाले हैं

गंगा, यमुना, हिन्द महासागर के 

हम रखवाले हैं।

तन मन धन तुम पर कुर्बान,

जियो जियो अय हिन्दुस्तान!

हम सपूत उनके जो नर थे 

अनल और मधु मिश्रण,

जिसमें नर का तेज प्रखर था, 

भीतर था नारी का मन!

एक नयन संजीवन जिनका, 

एक नयन था हालाहल,

जितना कठिन खड्ग था 

कर में उतना ही अंतर कोमल।

थर-थर तीनों लोक काँपते थे 

जिनकी ललकारों पर,

स्वर्ग नाचता था रण में 

जिनकी पवित्र तलवारों पर

हम उन वीरों की सन्तान,

जियो जियो अय हिन्दुस्तान!

हम शकारि विक्रमादित्य हैं 

अरिदल को दलने वाले,

रण में ज़मीं नहीं, 

दुश्मन की लाशों पर चलने वाले।

हम अर्जुन, हम भीम, शान्ति के लिये 

जगत् में जीते हैं

मगर, शत्रु हठ करे अगर तो, 

लहू वक्ष का पीते हैं।

हम हैं शिवा - प्रताप 

रोटियाँ भले घास की खाएंगे,

मगर, किसी ज़ुल्मी के आगे मस्तक नहीं झुकायेंगे।

देंगे जान, नहीं ईमान,

जियो जियो अय हिन्दुस्तान।

जियो, जियो अय देश! कि 

पहरे पर ही जगे हुए हैं हम।

वन, पर्वत, हर तरफ़ चौकसी में ही 

लगे हुए हैं हम।

हिन्द-सिन्धु की कसम, 

कौन इस पर जहाज़ ला सकता।

सरहद के भीतर कोई दुश्मन कैसे आ सकता है ?

पर कि हम कुछ नहीं चाहते, 

अपनी किन्तु बचायेंगे,

जिसकी उँगली उठी उसे 

हम यमपुर को पहुँचायेंगे।

हम प्रहरी यमराज समान,

जियो जियो अय हिन्दुस्तान!

-रामधारी सिंह ‘ दिनकर’

संकलन-डॉ साकेत सहाय



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