सीता नवमी






जीवन का पाथेय यदि भगवान श्रीराम हैं तो उन तक पहुँचने का मार्ग केवल माता सीता हैं।  वह श्रीराम की लीला सहचरी हैं।  माता के चरणों की वन्दना करते हुए मानस में कहा गया है -

सती सिरोमनि सिय गुनगाथा।  

सोइ गुन अमल अनुपम गाथा।। 

सीता जी के कर्म और धर्म के संतुलन में समन्वय और सहयोग के कारण ही श्रीराम ने जीवन में नायक की मर्यादा स्थापित की। 

प्रभु श्रीराम सदैव ही विश्वास करने योग्य हैं। वह मर्यादा के प्रतिमान है इसलिए भगवान है।  जबकि माता स्वतंत्र हैं विदेह सुता हैं।  इसलिए वह भगवती हैं।

सीता नवमी के दिन जनकनन्दिनी माँ जानकी का प्राकट्य हुआ था। भूमिजा वैदेही माँ सीता के प्राकट्य महोत्सव की हार्दिक मंगलकामना!🙏


#सियाराम

—डॉ साकेत सहाय

Comments

Popular posts from this blog

महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह को श्रद्धांजलि और सामाजिक अव्यवस्था

साहित्य का अर्थ

पसंद और लगाव