समस्या_छोटे_ कारोबारियों_की

 बात तो सही है। यह समस्या रेहड़ी-पटरी वालों, परचून दुकानदारों , ड्राईवरों तथा छोटे कामगारों की भी हैं। जरुरत है उदारीकरण के उचित व्याख्या की और इसे लागू करने की। साथ ही सबसे जरुरी है सामाजिक मूल्यों की। क्योंकि भ्रष्ट व्यवस्था के लिए इस देश के नागरिकों की लालची सोच ज़्यादा ज़िम्मेदार है क्योंकि नेता, निजी कम्पनियाँ, पत्रकार और प्रशासक इसी का दोहन करते हैं।

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