शिक्षा का प्रश्न स्वाधीनता संग्राम के दौरान हमारे नेताओं ने देश की शिक्षा नीति के संबंध में जो सपना देखा था। उससे जुड़ा हुआ प्रमुख तथ्य है भारतीय भाषाओं में शिक्षा। जिसे काफी समय से उठाया भी जाता रहा है। लेकिन अब तक किसी ने उसे जमीन पर उतारने की कोशिश भी नही की। थोड़ा-बहुत प्रयास हुए भी तो प्रारंभिक व माध्यमिक स्तर तक। वस्तुत: यह सपना मैकाले की शिक्षा नीति के विरोध में बुना गया था। वस्तुत: परतंत्र भारत में मैकाले की सिफारिश पर जो शिक्षा प्रणाली भारतवासियों पर लादी गई थी। उसके मूल उद्देश्यों में निहित था ‘’ हिंदूस्तान में ऐसा शिक्षित वर्ग तैयार करना, जो चमड़ी के रंग से भले ही अंग्रेज न हो मगर विचारों, भावनाओं और व्यवहार में पूरी तरह अंग्रेज हो। ‘’ स्वाधीनता आंदोलन के दौरान हमारे सभी नेताओं ने शिक्षा की इस दृष्टि का विरोध किया। इनमें उदार दल के गोपाल कृष्ण गोखले, महादेव गोविंद रानाडे से लेकर गरम दल के बाल गंगाधर तिलक, विपिन चंद्र पाल, लाला लाजपत राय जैसे नेता शामिल थे। इन्हीं वजहों से उन्होंने ब्रिटिश शिक्षा प्रणा...