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नोटबंदी

नोटबंदी : काला धन निवारण व नकदी रह्ति अर्थव्यवस्था प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने बीते 8 नवंबर को राष्ट्र के नाम अपने पहले टेलीविजन संबोधन के माध्यम से भ्रष्टाचार , आतंकवाद , कालाधन , जाली नोटों के गोरखधंधे के विरूद्ध निर्णायक लड़ाई की घोषणा की।  अर्थात् बीते मंगलवार की आधी रात से 500 और 1000 रुपये का नोट कानूनी नहीं रह जाएंगे तथा एक प्रकार से जाली हो जाएंगे। तकनीकि शब्दों में अब ये वैध मुद्रा नहीं रह जाएंगे।  सरकार के मुताबिक अब 500 और 1000 के नोट अमान्य हो जाएंगे।  अन्य सभी मुद्राएं मान्य बनी रहेंगी।  मंगलवार रात मध्यरात्रि से 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों के प्रचलन को समाप्त करने का प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का निर्णय बेहद महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक है। सरकार के इस फैसले से महज 4 घंटे में ही देश की 87% यानी 15 लाख करोड़ रुपए की करेंसी अर्थव्यवथा से बाहर हो गई।  साथ ही विशेष फीचर वाले 2000 रुपए का नोट लाने का फैसला भी पहली बार किया गया है। हालांकि उच्च मूल्य वर्ग के नोटों को अचानक बंद करने का यह कोई पहला फैसला नहीं है। इससे पहले भी वर्ष 1946 और 1978 में ऐसे फैसले किए

विश्व के आंगन में हिन्दी: शिक्षा का प्रश्न

विश्व के आंगन में हिन्दी: शिक्षा का प्रश्न : शिक्षा का प्रश्न स्वाधीनता संग्राम के दौरान हमारे नेताओं ने देश की शिक्षा नीति के संबंध में जो सपना देखा था।  उससे जुड़ा हुआ प्रमुख ...

शिक्षा का प्रश्न

शिक्षा का प्रश्न स्वाधीनता संग्राम के दौरान हमारे नेताओं ने देश की शिक्षा नीति के संबंध में जो सपना देखा था।  उससे जुड़ा हुआ प्रमुख तथ्य है भारतीय भाषाओं में शिक्षा।  जिसे काफी समय से उठाया भी जाता रहा है।   लेकिन अब तक किसी ने उसे जमीन पर उतारने की कोशिश भी नही की।  थोड़ा-बहुत प्रयास हुए भी तो प्रारंभिक व माध्यमिक स्तर तक।  वस्तुत: यह सपना मैकाले की शिक्षा नीति के विरोध में बुना गया था।  वस्तुत: परतंत्र भारत में मैकाले की सिफारिश पर जो शिक्षा प्रणाली भारतवासियों पर लादी गई थी।  उसके मूल उद्देश्यों में निहित था  ‘’ हिंदूस्तान में ऐसा शिक्षित वर्ग तैयार करना, जो चमड़ी के रंग से भले ही अंग्रेज न हो मगर विचारों, भावनाओं और व्यवहार में पूरी तरह अंग्रेज हो। ‘’ स्वाधीनता आंदोलन के दौरान हमारे सभी नेताओं ने शिक्षा की इस दृष्टि का विरोध किया।  इनमें उदार दल के गोपाल कृष्ण गोखले, महादेव गोविंद रानाडे से लेकर गरम दल के बाल गंगाधर तिलक, विपिन चंद्र पाल, लाला लाजपत राय जैसे नेता शामिल थे।  इन्हीं वजहों से उन्होंने ब्रिटिश शिक्षा प्रणाली के समांतर शिक्षा संस्थाएं भी स्थापित की।  इस कड़ी मे