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हर क्षेत्र में एकसमान विकास जरुरी

आंकड़ों में दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में गिने जाने वाले भारतवर्ष के समग्र विकास के लिए यह आवश्यक है कि वह अर्थव्यवस्था से जुड़े महत्त्वपूर्ण तत्त्वों जैसे विनिर्माण, कृषि, शेयर बाजार, सेवा क्षेत्र, ऑटोमोबाइल और खुदरा जैसे क्षेत्रों में आगामी पांच वर्षों में महत्त्वपूर्ण प्रगति दर्शाए। कृषि- वैदिक काल से ही हमारी अर्थव्यवस्था मूल रूप से कृषि और पशुपालन पर आधारित रही है। लेकिन उदारीकरण के बाद से यह देखा गया है कि हम कृषि से ज्यादा दूसरी चीजों पर ध्यान दे रहे हैं। जबकि देश के समावेशी विकास के लिए यह आवश्यक है कि कृषि क्षेत्र का त्वरित विकास किया जाए। भारतीय उद्योग परिसंघ ने कृषि क्षेत्र के विकास के लिए एक बीस सूत्रीय कार्यक्रम की सिफारिश की है। जिसमें एक मॉडल लैंड लीजिंग अधिनियम, बीज विधेयक को पारित करना और उसे लागू करना, एक कीट निगरानी प्रणाली बनाना, मनरेगा के तहत वॉटरशेड प्रबंधन और खेती का मशीनीकरण शामिल है। सिंचाई की सुविधा ज्यादा से ज्यादा कृषि योग्य भूमि तक पहुंचाई जानी चाहिए। फिलहाल यह सुविधा 40 फीसदी खेती योग्य जमीन तक ही उपलब्ध है। उपरोक्त प्रस्