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Showing posts from November, 2012

खरगोश तथा कछुए की कहानी – नए रुप में

हम सभी ने खरगोश तथा कछुए की कहानी सुनी होगी। हम सभी इस कहानी को सुन-सुनकर बड़े हुए है। हमने इससे सबक भी लिया होगा कि धीरे मगर लगातार कार्य करने वाला इंसान सफलता जरुर प्राप्त करता है। समय के साथ इस कहानी में नए संदर्भ जुड़े है। हम इस कहानी के नए रुप से आपको परिचित करायेंगें। होता क्या है कि जब खरगोश जीती हुई बाजी अपने अति आत्मविश्वास की हार गया ; तो उसने इस हार पर काफी चिंतन – मनन किया। काफी सोचने के बाद उसने महसूस किया कि उसे यह हार उसके अति आत्मविश्वास, असावधानी तथा आलस के चलते मिली। यदि वह चीजों को अपने लिए तय मानकर नहीं चलता तो उसे निश्चित ही जीत मिलती। तो उसने पुन: कछुए को दूसरे दौड़ के लिए आमंत्रित किया। कछूए भी इससे सहमत नजर आया। इस बार खरगोश ने प्रतियोगिता में बिना रुके दौड़ लगाई तथा विजय हासिल की। इस कहानी से हम सभी को यह सबक मिलता है कि तेज तथा सतत परिश्रम करने वाला व्यक्ति निश्चय ही विजय पथ पर अग्रसर होता है। लेकिन फिर से इस कहानी का अंत यही नहीं होता। हार के बाद कछूआ काफी उदास हुआ। उसने भी अपनी हार पर काफी सोच – विचार किया। काफी सोच – विचार के बाद उसके दिमाग में यह बात आ

दीपावली की शुभकामनायें

नमस्कार बंधुवर, चूँकि काफी दिनों  बाद  लेखन के माध्यम से आप सभी से रुबरु हूँ।  इसीलिए क्षमाप्रार्थी हूँ।  लेखन की सबसे बड़ी विशेषता है नियमित लेखन और पाठकों से जुड़ाव ।  सबसे पहले दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें दीपावली है दीपों का त्योहार हम सभी मनाते है भगवान राम के जमाने से यह त्योहार लेकिन क्या कभी हमने सोचा है कि क्या यह त्योहार केवल दीपों की अबलियां सजाने का नाम कुछ पटाखों - फुलझड़ियों का नाम तो फिर यह तो किसी भी दिन हो सकता है फिर क्यूँ एक दिन है नियत हम क्यों सभी चीजों में  हो जाते  है प्रतीकात्मक क्या कभी हमने सोचा है दीपावली केवल सजाने का नाम नहीं है अंधेरे मन को उजाले विचारों से भरने का नाम तभी तो विजयादशमी के बाद आता  है। केवल जीतने से विजय नहीं मिलती जीत तो मिलती है मन को जीतने से। इसलिए आईए हम सभी मिलकर दीपावली मनाए हर कोई अपने मन के अंधियाये को रौशन करें जहाँ हो रौशनी का टिमटिमाता दिया उसे कर से रौशन जगमगाते दिए से।