केंद्रीय हिंदी संस्थान में मुख्य अतिथि
दिनांक ३०.०९.२०२४ को केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र द्वारा आयोजित 475वें नवीकरण पाठ्यक्रम के समापन समारोह एवं 476वें नवीकरण पाठ्यक्रम के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में मुझे सहभागी होने का अवसर प्राप्त हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। समारोह की अध्यक्षता केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद के क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में पंजाब नेशनल बैंक के मुख्य प्रबंधक (राजभाषा) डॉ. साकेत सहाय एवं सम्मानित अतिथि के रूप में डॉ. योगेन्द्रनाथ मिश्र उपस्थित थे। साथ ही पाठ्यक्रम प्रभारी डॉ. फत्ताराम नायक व कार्यालय अधीक्षक डॉ. एस. राधा भी मंच पर उपस्थित थे। इस पाठ्यक्रम में कुल 20 (महिला-11, पुरुष-09) प्रतिभागी अध्यापकों ने निमित्त उपस्थित रहकर पाठ्यक्रम पूर्ण किया।
मुख्य अतिथि के रूप में अपने उद्बोधन में मैंने कहा कि आप सभी कि हिंदीतर प्रदेशों के अध्यापक हैं अत: आपकी भूमिका एक शिक्षक के साथ-साथ राष्ट्रीय संवाद के वाहक के रूप में भी है। आप सभी अपने विद्यालयों में विद्यार्थियों के लिए ज्ञान के प्रवाहक के साथ संवाद शिक्षक भी है। आपकी भूमिका दोहरी है। आपकी मातृभाषा हिंदी नहीं है फिर भी आप सभी हिंदी की समृद्धि के लिए कार्य कर रहे हैं, राष्ट्र की प्रगति का यह बड़ा सूत्र है।मुझे आशा ही नहीं वरन् पूर्ण विश्वास है कि इस नवीकरण पाठ्यक्रम के माध्यम से आप सभी के हिंदी के ज्ञान में अवश्य वृद्धि होगी। मैं संस्थान को इस हेतु बधाई देता हूँ। मुझे गर्व है कि मैं केंद्रीय हिंदी संस्थान का विद्यार्थी रहा हूँ और आज इस संस्थान में मुख्य अतिथि के रूप में आकर मुझे गर्व की अनुभूति हो रही है। मैंने इस अवसर पर संस्थान के संस्थापक पद्मभूषण तेलुगू भाषी डॉ. मोटूरी सत्यनारायण को भी उनके योगदान के लिए स्मरण किया। हम सभी शपथ लें कि उनकी मुहिम को आगे बढ़ाने में अपनी सार्थक भूमिका निभाएँगे। इस अवसर पर 475वें नवीकरण पाठ्यक्रम के प्रतिभागियों द्वारा हस्तलिखित पत्रिका ‘स्वर्ण आंध्र प्रदेश’ का विमोचन भी किया गया। साथ ही, इस अवसर पर नवीकरण पाठ्यक्रम के दौरान लिए गए पर परीक्षण का परिणाम भी घोषित किया गया। इस अवसर पर स्थानीय विद्यालयों के बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया। इस बेहतरीन आयोजन व मुझे आमंत्रित करने के लिए संस्थान के क्षेत्रीय निदेशक डॉ गंगाधर वानाडे जी का विशेष आभार। उनके व संस्थान के समस्त साथियों के आत्मीयपूर्ण व्यवहार के लिए मेरी ओर से विशेष धन्यवाद। इस अवसर पर मैंने वानाडे जी को प्रयोज़नमूलक हिंदी को समर्पित तथा दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी, संस्कृति मंत्रालय से साहित्य श्री कृति से सम्मानित कृति ‘इलेक्ट्रॉनिक मीडिया : भाषिक संस्कार एवं संस्कृति’ तथा वित्त, बैंकिंग व भाषा : विविध आयाम, जिसकी पांडुलिपि मंत्रिमंडल सचिवालय, बिहार सरकार से चयनित व अनुदानित की गयी थी आदि पुस्तकें उन्हें भेंट की। साथ ही उन्होंने मुझे दक्षिण में हिंदी व स्थानीय भाषाओं के विकास व समन्वय को समर्पित संस्थान की पत्रिका “समन्वय” भेंट की।
#साकेत_विचार
-डॉ साकेत सहाय
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