गिनती भारत की देन




यह भी भ्रांति है कि गिनती अंग्रेज़ी की है, अंग्रेज़ी की गिनती तो रोमन है। कितनी बड़ी मूढ़ता है आप अपनी गिनती जिसे संविधान में भारतीय अंकों का अन्तर्राष्ट्रीय स्वरूप (1,2,3….) कहा गया है उसे अंग्रेजियत या अज्ञानतावश पता नहीं अंग्रेज़ी का गिनती कहते है इस भूल को परिमार्जित करने की आवश्यकता है। इससे बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति और क्या होगी। मैं प्रत्येक मंच से यह बात कहता हूँ कि यह भारतीय गिनती है, पूरी दुनिया को गिनती हमने सिखाई। ‘उपकार’ फ़िल्म का गीत आप सब याद करें ‘ जब जीरो मेरे भारत ने दुनिया को तब गिनती आई।’ 

यह तो वही बात हुई पिता ने ऋण लेकर घर बनाया और बेटा बोले ससुराल वालों ने बनाया। हिन्दी भाषा का प्रश्न केवल भावनाओं का नहीं राष्ट्रीय संस्कार और संस्कृति का है। हम सब सत्य का अन्वेषण करें, अपनी भाषा और ज्ञान पर गर्व करें, सीखें हर किसी से पर स्वयं को गिराकर नहीं, भारतीय भाषाएँ सहोदरा हैं। सब मिलकर रहें। कबिगुरु ने कहा था, ‘हिंदी भारत की महानदी है।’ हमारा उपक्रम सबको साथ लेकर चलना है न कि अंग्रेज़ी को बढ़ाने की आड़ में हिंदी और उसकी लिपि देवनागरी को कमजोर करना। 

सादर, 

डा. साकेत सहाय

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