Sunday, October 30, 2022

प्रकृति की उपासना और पर्यावरण संरक्षण पर आधारित है छठ




कुछ और बातें

 🚩 कौन हैं छठी मैया जी ?🚩

लोगों में यह एक आम जिज्ञासा यह रही है कि भगवान सूर्य की उपासना के लोक महापर्व छठ में सूर्य के साथ जिन छठी मैया की अथाह शक्तियों के गीत गाए जाते हैं, वे कौन हैं। ज्यादातर लोग इन्हें शास्त्र की नहीं, लोक मानस की उपज मानते हैं। लेकिन हमारे पुराणों में यत्र-तत्र इन देवी के संकेत जरूर खोजे जा सकते हैं। 

पौराणिक कथा के अनुसार सूर्य और षष्ठी अथवा छठी का संबंध भाई और बहन का है। षष्ठी एक मातृका शक्ति हैं जिनकी पहली पूजा स्वयं सूर्य ने की थी। 'मार्कण्डेय पुराण' के अनुसार प्रकृति ने अपनी अथाह शक्तियों को कई अंशों में विभाजित कर  रखा है। प्रकृति के छठे अंश को 'देवसेना' कहा गया है। प्रकृति का छठा अंश होने के कारण इनका एक नाम षष्ठी भी है। 

देवसेना या षष्ठी श्रेष्ठ मातृका व समस्त लोकों के बालक-बालिकाओं की रक्षिका हैं। इनका एक नाम कात्यायनी भी  है जिनकी पूजा नवरात्रि की षष्ठी तिथि को होती रही है। पुराणों में निःसंतान राजा प्रियंवद द्वारा इन्हीं देवी षष्ठी का व्रत करने की कथा है। छठी षष्ठी का अपभ्रंश हो सकता है। 

आज भी छठव्रती छठी मैया से संतानों के लंबे जीवन, आरोग्य और सुख-समृद्धि का वरदान मांगते हैं। शिशु के जन्म के छह दिनों बाद इन्हीं षष्ठी या छठी देवी की पूजा का आयोजन होता है जिसे बोलचाल की भाषा में छठिहार कहते हैं। छठी मैया की एक आध्यात्मिक पृष्ठभूमि भी हो सकती है। 

अध्यात्म कहता है कि सूर्य के सात घोड़ों पर सवार सात किरणों का मानव जीवन पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। सूर्य की छठी किरण को आरोग्य और भक्ति का मार्ग प्रशस्त करने वाला माना गया है। यह संभव है कि सूर्य की इस छठी किरण का प्रवेश अध्यात्म से लोकजीवन में छठी मैया के रूप में हुआ हो।

जब विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता की स्त्रियां अपने सम्पूर्ण वैभव के साथ सज-धज कर अपने आँचल में फल ले कर निकलती हैं तो लगता है जैसे संस्कृति स्वयं समय को चुनौती देती हुई कह रही हो, "देखो! तुम्हारे असँख्य झंझावातों को सहन करने के बाद भी हमारा वैभव कम नहीं हुआ है, हम सनातन हैं, हम भारत हैं। हम तबसे हैं जबसे तुम हो, और जब तक तुम रहोगे तब तक हम भी रहेंगे।"

छठ के दिन नाक से माथे तक सिंदूर लगा कर घाट पर बैठी स्त्री अपनी हजारों पीढ़ी की अजिया सास ननिया सास की छाया में होती है, बल्कि वह उन्ही का स्वरूप होती है। उसके दउरे में केवल फल नहीं होते, समूची प्रकृति होती है। वह एक सामान्य स्त्री सी नहीं, अन्नपूर्णा सी दिखाई देती है। ध्यान से देखिये! आपको उनमें कौशल्या दिखेंगी, उनमें मैत्रेयी दिखेगी, उनमें सीता दिखेगी, उनमें अनुसुइया दिखेगी, सावित्री दिखेगी... उनमें पद्मावती दिखेगी, उनमें लक्ष्मीबाई दिखेगी, उनमें भारत माता दिखेगी। इसमें कोई संदेह नहीं कि उनके आँचल में बंध कर ही यह सभ्यता अगले हजारों वर्षों का सफर तय कर लेगी।

    देश की माताओं! जब भगवान आदित्य आपकी सूप में  उतरें, तो उनसे कहिएगा कि इस देश, इस संस्कृति पर अपनी कृपा बनाये रखें, ताकि हजारों वर्ष बाद भी  पुत्रवधुएँ यूँ ही सज-धज कर गंगा के जल में खड़ी हों और कहें- "उगs हो सुरुज देव, भइले अरघ के बेर..."

जय हो....

 भास्कर भगवान की जय

*आप सबको लोकआस्था के महापर्व छठ की मंगलकामनाएं ....*

🙏साभार🙏

Saturday, October 22, 2022

शहीद अशफ़ाक उल्ला खां को नमन


 आज भारतीय स्वाधीनता संग्राम के अमर सेनानी शहीद अशफ़ाक़उल्लाह ख़ान की जयंती है।  उनका पूरा नाम अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ वारसी हसरत था। पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल जैसे परम मित्र के साथ जेल में फॉंसी की प्रतीक्षा करते अशफ़ाक़उल्लाह ख़ान को अपनी ज़िंदगी की अंतिम रात तक बस इस बात का अफ़सोस रहा कि मातृभूमि पर सर्वस्व न्योछावर करने हेतु मैं एक ही बार पैदा क्यों हो सका।  उनके कुछ विचार-

‘कस ली है कमर अब तो, कुछ करके दिखाएँगे, आज़ाद ही हो लेंगे, या सर ही कटा देंगे।’

‘दिलवाओ हमें फाँसी, ऐलान से कहते हैं, खूं से ही हम शहीदों के, फ़ौज बना देंगे।’


चंद और पंक्तियाँ, जिसे मैंने भाव दिया है-


बिस्मिल हिन्दू हैं कहते हैं " माँ, मैं मातृभूमि की रक्षा के लिए फिर जन्म लूँगा, 

फिर जन्म लेकर भारतमाता को स्वतंत्र कराऊँगा।

माँ, मेरा भी मन है पर अपने मजहब की 

रीतियों से बंध जाता हूँ,

सुना है माँ मुसलमान पूर्नजन्म नहीं लेते

अल्लाह से यहीं दुआ है

मुझे स्वर्ग के बदले 

भारत माँ के सपूत के रूप में 

एक और जन्म ही दे दें….


यही जज़्बा भारत को भारत बनाता है। 


जय हिंद! जय भारत!!

#साकेत_विचार

#अशफ़ाक

Saturday, October 8, 2022

भारतीय वायु सेना दिवस



 राष्ट्रीय भाव बोध, संस्कृति,एकता, वैज्ञानिक सोच, अनुशासन, देशहित और राष्ट्रभाषा हिंदी के प्रसार में भारतीय सशस्त्र सेनाओं  का महत्वपूर्ण स्थान रहा है।  साथ ही सैन्य संस्थानों की राष्ट्रभाषा हिंदी के प्रचार -प्रसार में भी निर्विवाद भूमिका रही है। भारतीय वायु सेना की  90वीं वर्षगाँठ पर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई!  

आज भारतीय वायु सेना का गीत याद आ रहा है...  गीत का भाव देखें .... 

'देश पुकारे जब सबको

दुख- सुख बाँटे एक समान

नीली वर्दी वालों का दल 

बढ़ता आगे सीना ......'

जय हिंद ! जय हिंदी!!

#long_live_IAF

#साकेत_विचार

मुंशी प्रेमचन्द की पुण्यतिथि पर स्मरण

 


हिंदी भाषा और साहित्य के रत्न तथा उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी की  पुण्यतिथि पर उन्हें कोटिशः नमन। 💐🙏💐

मुंशी प्रेमचंद की लेखनी आम आदमी, गाँव, समाज, व्यवस्था को समर्पित रहीं।  व्यवस्था, गाँव-देहात की सच्चाई तथा मानवीय मूल्यों का उन्होंने जिस प्रकार से अपनी रचनाओं में सजीव चित्रण किया, वह आज भी प्रासंगिक है। सामाजिक सरोकारों पर उनकी लेखनी विश्व साहित्य की अमूल्य धरोहर और अनुकरणीय है।

आज से 100 साल पहले भी जो उन्होंने लिखा, वह आज भी प्रासंगिक है। उनकी हर रचना ऐसे लगती है जैसे आज की कहानी है। नमक का दारोगा, बड़े घर की बेटी, गोदान, गबन... हर रचना जाग्रत।  जिस युग में प्रेमचंद ने कलम उठाई थी, उस समय उनके पीछे ऐसी कोई ठोस विरासत नहीं थी और न ही विचार और न ही प्रगतिशीलता का कोई मॉडल ही उनके समक्ष था। हिन्दी साहित्य में मुंशी प्रेमचंद जी का कद काफी ऊंचा है और उनका लेखन कार्य एक ऐसी विरासत है, जिसके बिना हिन्दी के विकास को अधूरा ही माना जाएगा। भारतीय साहित्य का बहुत-सा विमर्श जो बाद में प्रमुखता से उभरा, चाहे वह दलित साहित्य हो या फिर नारी साहित्य, उसकी जड़ें प्रेमचंद के साहित्य में दिखाई पड़ती हैं। 

उपन्यास सम्राट’ की उपाधि पानेवाले प्रेमचंद आज भी भारतीय साहित्य के सबसे अधिक लोकप्रिय लेखक हैं। उन्होंने अपने जीवनकाल में चैदह उपन्यास, ढाई सौ कहानियां और अनगिनत निबंध लिखे। इसके अतिरिक्त उन्होंने कुछ अन्य भाषाओं की पुस्तकों को भी हिन्दी में अनूदित किया। उनका सारा लेखन यथार्थ पर आधारित था और उसके माध्यम से उस समय की सामाजिक स्थितियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने का उनका एक प्रयास था। बाल-विवाह, गरीबी, भुखमरी, ज़मींदारों के अत्याचार अक्सर उनके लेखन का विषय थे। 1936 में लिखा गोदान उनका आखिरी उपन्यास है जिसे सबसे महत्वपूर्ण कृति माना जाता है। गोदान गांव में रहनेवाले उस परिवार की कहानी है जो कठिनाइयों का सामना करते हुए हिम्मत नहीं हारता।

हिंदी जैसी भाषा का ऐसा उत्कृष्ट साहित्यकार जो वास्तव में नोबेल पुरस्कार से भी बड़े पुरस्कार प्राप्ति के योग्य थे, पर उनका सम्मान उस समय उस भाषा के प्रेमियों बोलने ने उनके जीते -जी कभी नहीं की जिसमें वह अपनीं अस्थियाँ गलाकर लगातार ३३ वर्षों तक लिखते रहें। 

उनके अंतिम यात्रा का वह दृश्य पढ़िए “मुँह धुलाने के लिए शिवरानी गर्म पानी लेकर आई। मुंशी जी ने दांत माँजने के लिए खरिया मिट्टी मुँह में ली… नवाब ने बेबस आँखों से रानी को देखा और दम उखड़ते-उखड़ते , रुकती अटकती, कुएँ के भीतर से आती हुई सी—-…भारी गूंजती आवाज़ में डूबते आदमी की तरह पुकारा…..रानी…… “,चले गए मुंशी जी।( सिरहाने न कोई डॉक्टर ,न ही वे नामी गिरामी हिंदी के साहित्यकार , जो उस समय जीवित थे)।

ऐसी जाति की भाषा के रचनाकारों को कैसे मिलेगा नोबेल पुरस्कार?कैसे बनेगी वह राष्ट्र भाषा ?

भाषाएँ केवल गाल बजाने और अपना पीठ खुद ही थपथपाते रहने से श्रेष्ठ भाषा नहीं बन जातीं, उस भाषा के लोगों को  भाषा के लिए और उस भाषा में लिखने वालों के लिए अपना सर्वस्व निछावर करना होता है । 

प्रेमचन्द जी की एक और महत्वपूर्ण टिप्पणी

“हिन्दुस्तानी, उर्दू और हिन्दी की चार-दीवारी को तोड़ कर दोनों में रब्त-ज़ब्त पैदा कर देना चाहती है, ताकि दोनों एक-दूसरे के घर बे-तकल्लुफ़ आ जा सकें। महज़ मेहमान की हैसियत से नहीं, बल्कि घर के आदमी की तरह।” (प्रेमचंद) 

"सौभाग्य उसी को प्राप्त होता है, जो अपने कर्तव्य पथ पर अडिग रहते हैं।"

सच में प्रेमचन्द जी के उद्गार उन पर अक्षरश: खरे उतरते है। मानवीय भावनाओं का सजीव चित्रण कर अपने लेखन से हिंदी साहित्य को समृद्ध करने वाले "उपन्यास सम्राट"  विश्व साहित्य के महान साहित्यकार की पुण्य तिथि पर पुन: नमन एवं श्रद्धांजलि 🌹💐🙏🙏💐💐💐👏

Wednesday, October 5, 2022

दशहरा और प्रभु श्रीराम

 


आज दशहरा है।  हर बार की तरह इस बार भी ‘घनघोर स्मार्ट’ काफी कुछ  रावण के समर्थन में  लिख रहे है।  इस प्रकार की कुत्सित सोच के वाले लोगों के लिए रावण, महिषासुर आदर्श हो सकते हैं। अब तो महात्मा गांधी भी इन लोगों के लिए खलनायक है। 

दशहरा स्मरण कराता है जन जन के आदर्श श्रीराम की मर्यादा को समझने का। श्रीराम को समझना इतना आसान नहीं, क्योंकि मर्यादा पुरुषोत्तम सब नहीं बन सकते। इसीलिए वे ईश्वर कहलाए। राम वास्तव में अपेक्षा, लोभ, स्वार्थ, काम, क्रोध, सांसारिक मोह से परे कर्तव्य और मर्यादा से बंधे पुरुषोत्तम है। उनकी संपूर्ण गाथा मानव के 'मानव' बनने का इतिहास है।


#रामगाथा


राम ! 


आपकी गाथा, 

आपकी पताका, 

आपका शौर्य, 

आपका मान, 

हमारा अभिमान 

आपका सम्मान 

हमारा मान 

आपकी मर्यादा 

हमारा अभिमान 

भारत की शान


राम 

आपकी गाथा किताबों से परे

हमारे  संस्कार-संस्कृति से बंधे है।


राम 

आप हमारे भावों से 

आत्मा से 

कैसे विलुप्त हो गए?

क्या आपका विलुप्त होना 

भारतीयता  का 

संस्कार का 

संस्कृति का

मर्यादा का 

नष्ट होना नहीं ?


राम आप तो चक्रवर्ती  सम्राट थे।

आपने दशानन को विजित किया

वहीं दशानन जो संसार का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति था

पर अहंकारी था

लोग कहते है कि 

आपने दशानन का  वध किया 

पर मुझे लगता है आपने 

उसके अहंकार का 

शमन किया!


इस कलियुग में आपके एक और अवतार की 

आवश्यकता है प्रभु!

क्योंकि आपके पुत्र अपनी मूल प्रकृति को भूल चुके है!

©डॉ. साकेत सहाय

आपको एवं आपके परिजनों को असत्य पर सत्य  और अधर्म पर धर्म की विजय के पर्व विजयदशमी की असीम शुभकामना! बधाई! जय श्रीराम🌺🌸🙏


चित्र स्रोत बाली, इंडोनेशिया

प्रसंग - मारीच वध

साभार- श्री कोडो गरोंग

Kodo Guang

पर्व-त्यौहार पर ख़रीद और छोटे दुकानदार

 

इस त्यौहारी मौसम में इनसे खरीदना न भूलें।  ये भारत के असंगठित क्षेत्र की रीढ़ हैं जिनसे भारत के असंख्य परिवारों में मुस्कुराहट आती है, रोटियाँ मिलती है। यहीं भारत को मंदी में भी भारत बनाते है। यही उद्यमशीलता है। जिसे एमएसई क्षेत्र कहते है ।  भारत की बुनियाद इनसे भी है।  आइए इनकी मेहनत को सलाम करें और इनसे ख़रीदारी करें, मोल-तोल भी करें, पर इनकी हंसी के साथ। 

आप सभी को दशहरा, दीपावली, छठ की हार्दिक शुभकामना! 


#साकेत_विचार

#एमएसएमई

#MSME

सुब्रह्मण्यम भारती जयंती-भारतीय भाषा दिवस

आज महान कवि सुब्रमण्यम भारती जी की जयंती है।  आज 'भारतीय भाषा दिवस'  भी है। सुब्रमण्यम भारती प्रसिद्ध हिंदी-तमिल कवि थे, जिन्हें महा...