स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है।

 





स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है।’ नारे के प्रणेता महान स्वाधीनता सेनानी बाल गंगाधर तिलक जी की जयंती पर उन्हें शत शत नमन!

अहमदनगर में हुई लोकमान्य तिलक की ऐतिहासिक बैठक 

 31 मई और 1 जून 1916 को लोकमान्य तिलक अहमनगर शहर में थे।  वह होमरूल आंदोलन के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अहमदनगर आए थे।  31 मई को तिलक ने कपड़ा बाजार क्षेत्र में ऐतिहासिक बैठक की।   अहमदनगर की इस सभा में लोकमान्य तिलक ने "स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे प्राप्त करूंगा" के नारे लगाए।

 ब्रिटिश सरकार ने इन सभी भाषणों को आपत्तिजनक घोषित किया और लोकमान्य के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दायर किया था।

Comments

Popular posts from this blog

लाल बहादुर शास्त्री - पंजाब नैशनल बैंक के कर्त्तव्यनिष्ठ ग्राहक

विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस

महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह को श्रद्धांजलि और सामाजिक अव्यवस्था