साहित्य अकादेमी, हिंदी और शशि थरुर




हम भारतीय निश्चय ही आत्महीनता के दौर से गुजर रहे हैं । आप सभी को जरूर याद होगा लोक सभा में 'राष्ट्रभाषा' हिंदी को लेकर माननीय सांसद शशि थरुर जी द्वारा की गयी टिप्पणी । क्या भारत सरकार से पोषित 'साहित्य अकादेमी' को कोई और नहीं मिला इस हिंदी द्रोही के अलावे अपने वार्षिक आयोजन में अतिथि बनाने को। वास्तव में हम अपनी भाषाओं को लेकर ढकोसलों से ऊपर उठ ही नहीं पाते। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम अपनी भाषाओं के प्रति ना संविधान सम्मत हैं, न राष्ट्र सम्मत और ना लोक सम्मत। भगवान ही मालिक है भारतीय भाषाओं का.... क्योंकि जो व्यक्ति अपनी राष्ट्र भाषाओं का सम्मान नहीं कर सकता, उसे क्या हक है साहित्य और संस्कृति पर बोलने का आलेख संलग्न है टिप्पणी के ऊपर। 'स्वाभिमान, सम्मान की भाषा है हिंदी' धन्यवाद अमृत विचार दिनांक 11.02.2022 


#साकेत_विचार 

 #साहित्य_अकादेमी

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