उदारीकरण और आम से अदासीनत
#किसानी_हक़ के लिए आंदोलन होने चाहिए। मैं इस बात का समर्थन करता हूँ। पर यह आंदोलन राजनीति प्रेरित अधिक और स्थितिपरक कम प्रतीत होता है। पर इस देश की भलाई इसी में है कि इस देश में
इस बात के लिए भी आंदोलन हो कि उदारीकरण की नीति समाप्त हो। क्योंकि वर्तमान क़ानून उसी का परिणाम है। हर चीज बाजार के हवाले। सबसे अहम शिक्षा और स्वास्थ्य भी।
चाहे कांग्रेसी हो या वामपंथी शह वाली सत्ता हो अथवा बाद में राष्ट्रवादी सत्ता हो सब उदारीकरण की आड़ में कारपोरेट को बढ़ावा दे रहे है। बीते तीस सालों में सबने हर पार्टी ने, नौकरशाही ने सत्ता के साथ मिलकर शिक्षा, स्वास्थ्य और रोटी को सामान्य जन से दूर किया है। गुणवत्ता के नाम पर ग्लैमर बरसाए गए। शिक्षण संस्थान शिक्षा से अधिक वैचारिक प्रयोगशाला के नाम पर हित साध रहे है। निजी अस्पताल, स्कूल तो लूटघर बन गए है।
अगर देश को आगे बढ़ना है तो शिक्षा और स्वास्थ्य का राष्ट्रीयकरण होना ही चाहिए। तभी रामराज्य आएगा। परंतु इस हेतु सरकारों को सत्ता, नौकरशाही और कारोबारियों के कुतंत्र को समाप्त करना होगा। तभी खेती का भी भला होगा।
सादर
डॉ साकेत सहाय
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#किसानी_हक़
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