Sunday, June 29, 2025

असाहित्यिक घटना और साहित्य का अर्थ

 

पटना की असाहित्यिक घटना और साहित्य का अर्थ 

किसी भी अमर्यादित घटना से समाज में रोष होना स्वाभाविक है । पर इस प्रकार की अनैतिक घटनाएँ क्यों हो रही है ? क्या इसके लिए केवल एक व्यक्ति दोषी है ? आप अपने चारों ओर नजर दौड़ाये और देखें किस प्रकार से हम सब आंकठ लोभ, लालच, काम-लिप्सा में डूबे जा रहे हैं । एक पूरी व्यवस्था इसे पोषित कर रही है । बाजार  और मीडिया हमारी सोच और भोग पर हावी है । स्त्री-पुरुष संबंध कॉमोडिटी में परिवर्तित हो रहे है । साहित्य, कविताएँ सब कुछ  नकारात्मक । 

हम जो कहते या सोचते हैं वह हमें परिभाषित नहीं करता, बल्कि हम जो करते हैं वह हमें परिभाषित करता है। ‘’   - जेन ऑस्टेन  

जेन ऑस्टिन के इस उद्धरण को देखिये आपको पता चल जाएगा कि हमारा समाज क्या कर रहा   है । पटना की कथित अनैतिकता पर मचा बावेला उचित है । पर यही बावेला मचाने वाले बंगाल की जघन्यता पर मौन हो जाते है । स्त्री हिंसा कही भी हो वह अन्यायपूर्ण ही है । दुराचार   इस पृथ्वी पर सबसे बड़ा कलंक है ।

अत : सबसे बड़ा संकल्प हो लेखक, साहित्यकार की लेखनी देश, समाज के हित में समर्पित हो।  देश, काल में विद्यमान जाति, पंथ, मत से परे संस्कार, सार्थक परंपराओं, लोक संस्कृतियों, बोलियों, ऐतिहासिक भाव-बोध के साथ सबसे महत्वपूर्ण जीवन मूल्यों को प्रोत्साहित  करने वाली हो यह प्राथमिक लेखकीय दायित्व हो। तभी वह वास्तव में साहित्यकार है। आज साहित्य में पद, पैसा, रसूख़, संपर्क, संबंध, व्यवहार अधिक हावी होते जा रहे है जिससे मूल लेखकत्व कमजोर पड़ता जा रहा है। साहित्य और सत्ता अपने स्वार्थ के नाम पर स्त्री और पुरूष के बीच अंतहीन संघर्ष को दिखाकर अपनी रोटी सेंक रहे हैं । साहित्य का अर्थ सत्य, समन्वय और संतुलन है । 

साहित्य के अर्थ को समझने की जरूरत  है ।  कहा  गया  है “जिस प्रकार जड़ के बिना पौधा सूख जाता है, उसी प्रकार मूल के अभाव में लिखा हुआ साहित्य भी निरर्थक होता है।”दुर्भाग्यवश, आजकल लोग बिना मूल को जाने ही केवल अपनी ‘उद्भभावना’ को ही सर्वांग सत्य मानने लगे है। ऐसे में यह ज़रूरी है कि लेखक, पत्रकार वैज्ञानिक ज्ञान एवं सार्थक समझ के साथ ही अपनी मूल परंपरा, विरासत को जाने-समझे। जिस प्रकार जड़ का अस्तित्व पौधे से पहले होता है उसी प्रकार साहित्य का स्थायित्व भी उसके मूल पर टिका हुआ है।  तभी वह भावी पीढ़ी को मार्गदर्शित करने में सक्षम हो सकेगा। नकारात्मकता राष्ट्र, समाज की गति को बाधित करती है।  ऐसे में साहित्य की सशक्त भूमिका को समझना बेहद ज़रूरी है। आवश्यक यह है कि हम सभी  ‘भारतीय दृष्टि, सम्यक सृष्टि’ के भाव बोध को सशक्तता प्रदान करने में सहायक बने।   

आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी अपने निबंध ‘साहित्य की महत्ता’ में कहते है –‘ज्ञान-राशि के संचित कोष का ही नाम साहित्य है। ‘  इन्हीं गुण-तत्त्वों के कारण भारतीय परंपरा एवं इतिहास में साहित्य को विशिष्ट स्थान प्राप्त है।  हमारा इतिहास, ज्ञान-विज्ञान, कला, तर्क आदि सभी कुछ का नाम साहित्य है।  

साहित्य वहीं सफल होता है जिसकी पृष्ठभूमि में मनुष्यता है, संवेदना है, सच्चाई है।  एक साहित्यकार कालजयी होता है। तुलसीदास जी ने मर्यादा और कर्तव्य बोध को सबसे ऊपर रखा।  यही तुलसीदासजी के साहित्य के स्थायी अमरता का तत्त्व बोध है।  साहित्य हमें व्यापक दृष्टि देता हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि हम ऐसे साहित्य का सृजन करें जो सार्वकालिक हो, समदृष्टि रखें और हमारी संस्कृति को व्यापक दृष्टि प्रदान करता हो।  भावी पीढ़ी को दिशा देने हेतु इस साहित्य का अनुसरण किया जाना बेहद जरूरी है।  आज के साहित्यकारों, इतिहासकारों को इसे जानने-समझने की आवश्यकता है कि साहित्य देश एवं संस्कृति को जानने-समझने का सशक्त माध्यम है।  जिसमें संतुलन हो, समग्रता हो, सशक्तता हो, भावी पीढी के जानने-समझने की सोच हो। भारत अपनी समृद्ध परंपरा, संस्कृति के बल पर ही सदियों से दुनिया को राह दिखाता रहा है अब इसे मजबूत रखने की ज़िम्मेदारी हम सभी की है।  

लेखक -डॉ साकेत सहाय

#साकेत_विचार #लेखक

Thursday, June 12, 2025

अहमदाबाद विमान हादसे में जीवित बचा व्यक्ति-चमत्कार

 


हम सभी अक्सर जिंदगी और मौत को लेकर इन उद्धरणों को सुनते हैं।  ‘आनंद’ फ़िल्म का वह संवाद जिसे राजेश खन्ना ने अपने अभिनय से अमर कर दिया । 

“जिंदगी और मौत ऊपर वाले के हाथ में है जहांपनाह, जिसे ना आप बदल सकते हैं, ना मैं। हम सब तो रंगमंच की कठपुतलियां हैं, जिसकी डोर ऊपर वाले के हाथ बंधी है। कब, कौन, कैसे उठेगा, ये कोई नहीं जानता..!”

आज गुजरात के अहमदाबाद में हुए विमान हादसा में  एयर इंडिया का जहाज अहमदाबाद हवाई अड्डे से लंदन के लिए उड़ान भरने के तुरंत बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इसमें कुल 242 लोग सवार थे। इसमें सवार गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी का भी निधन हो गया। पर ईश्वर की लीला देखिये कि इसी अहमदाबाद विमान हादसे में एक व्यक्ति अपनी जान बचाने में सफल रहा । जीवित बचा यह व्यक्ति ब्रिटिश नागरिक है जिनका नाम रमेश विश्वास है। जो विमान दुर्घटना के बाद खुद अपने पैरों पर चलते हुए गए। रमेश कुमार ने बताया कि "टेक ऑफ होने के 30 सेकेंड के बाद प्लेन क्रैश हो गया था"। 

इसी घटना पर किसी अखबार में बहुत साल पहले पढ़ी एक घटना याद आ गई ।  घटना यह थी कि एक बस में सांप घुस गया। जब बस चलने लगी तो वह सांप निकलकर एक यात्री के पैरों में लिपट गया। लोगों ने उसे हटाने की काफी कोशिश की लेकिन वह लिपटा रहा। बस रोक दी गई ।   करीब आधा घंटे तक इंतजार किया गया, लेकिन वह सांप नहीं हटा। लोगों ने किसी तरह उस आदमी को धीरे-धीरे बस से उतार दिया और इसकी प्रतीक्षा की गई कि शायद अब सांप  उसका साथ छोड़ दे पर नहीं। कुछ देर और इंतज़ार करने के बाद उस आदमी को वहीं छोड़कर बस निकल गई। करीब २०० मीटर दूर जाते ही वह बस एक खाई में गिर गई और बस का कोई भी यात्री सकुशल नहीं बचा। इधर बस खाई में गिरी और उधर सांप इस आदमी का पैर छोड़कर चला गया। जब इस घटना को अखबार में पढ़ा था तब मैं काफ़ी छोटा था और इस ख़बर पर मेरा विश्वास नही जमा ।  लगा यह चमत्कार नहीं होगा किसी ने कहानी गढ़ी होगी। आज अहमदाबाद के विमान हादसे में जीवित बचे सिर्फ एक व्यक्ति की खबर से यह दोहा भी चरितार्थ हुआ और उस खबर की भी याद आ  गई । 

"जांको (जिसे या जिसको)

राखे (रखना चाहता है)

साईयां (भगवान, मालिक,ईश्वर)

मार (मृत्यु, वध करना)

सके( सकता है)

ना कोई ( कोई भी, प्रत्येक)

चाहे (चाह कर भी)

सारा (सब, समस्त)

जग (जगत, दुनिया, संसार)

बैरी (रिपु, शत्रु, दुश्मन)

होय" ( हो जाने पर भी)

इस प्रकार की घटनाओं से सत्य ही लगता है कि इस दुनिया को कोई तो चला रहा है ।  जो सब कुछ नियंत्रित करता है । हम सब उसके पुतले हैं । अत: ईश्वर ने जो जिंदगी दी है उसका आनंद लीजिये । सभी असमय काल-कवलित हुए नागरिकों को श्रद्धांजलि 🙏

डा. साकेत सहाय 

लेखक 

१२.०६.२०२५

Sunday, June 8, 2025

सटीक डिजिटल पता प्रणाली है डिजिपिन



भारतीय डाक पत्तो प्रमुख आकर्षण रहे पिन कोड का युग अब नये रूप में आकार लेने को है ।  जी, हाँ अब आपके छ: अंकों के पिन कोड या डाक सूचकांक संख्या को भारतीय डाक विभाग ने डिजिटल युग के साथ कदम ताल करते हुए  इसके विकल्प के तौर पर 'डिजीपिन' नाम से डिजिटल पता पेश किया है। अब से देश में डिजीपिन नई पता प्रणाली होगी। पारंपरिक पिन कोड जहां बड़े क्षेत्र को कवर करते हैं, वहीं 10 अंकों वाला डिजीपिन सिस्टम आपके घर या व्यवसाय के सटीक स्थान को दर्शाता है। आइए जानते हैं कि पिन कोड और डिजीपिन में क्या अंतर है।

किसी क्षेत्र या स्थान की पहचान के लिए भारतीय डाक विभाग द्वारा अब तक छह अंकों वाला पिन कोड प्रयोग में लाया जा रहा था। पता प्रणाली में सटीकता लाने के लिए अब 10 अक्षरों का डिजिपिन जारी किया गया है। इसे आईआईटी हैदराबाद और इसरो ने विकसित किया है। डिजिपिन के माध्यम से देश के किसी भी स्थान  की सटीक डिजिटल पहचान और यूनिक आईडी सुनिश्चित की गई है। इसके आधार पर सुदूर गांव की छोटी-छोटी गलियों तक सटीकता से पहुंचा जा सकेगा।

यानी इस डिजीपिन के जरिए आपके घर या व्यवसाय का सटीक स्थान पता किया जा सकेगा। डिजीपिन बनाने और कोड खोजने के लिए नामित सरकारी वेबसाइट पर जाकर आप अपना घर ढूंढ सकते हैं। डिजिपिन का लाभ यह है कि यह पत्राचार को सही स्थान पर पहुंचाएगा और एम्बुलेंस और अग्निशमन विभाग जैसी आपातकालीन सेवाओं को स्थान को समझकर सटीक रूप से उस तक पहुंचने में मदद करेगा। उम्मीद है कि डिजिपिन ग्रामीण क्षेत्रों सहित दूरदराज के क्षेत्रों में फायदेमंद होगा।

दावा है कि डिजिपिन न केवल पत्राचार के लिए, बल्कि ई-कॉमर्स वेबसाइटों के लिए भी पार्सल को सही स्थान पर पहुंचाने में सक्षम होगा।

*अपना डिजिपिन कैसे खोजें?*

अपना डिजिपिन खोजने के लिए सरकारी वेबसाइट https://dac.indiapost.gov.in/mydigipin/home तैयार की गई है। इस वेबसाइट पर जाकर और अपने द्वारा खोजे गए स्थान पर क्लिक करके, आप अपना 10 अंकों का डिजिपिन पता कर सकते हैं। डिजिपिन अन्य एड्रेस सिस्टम से अलग है क्योंकि आप चार मीटर के दायरे में अपना सटीक स्थान जान सकते हैं। पूर्व प्रचलित पिन कोड बड़े इलाके की पहचान बताता था,जबकि डिजिपिन लोकेशन आधारित व्यवस्था है जो सटीकता के साथ स्थान अथवा जगह की पहचान में मदद करेगी। डिजिपिन (डिजिटल पोस्टल इंडेक्स नंबर) निर्धारित करने के लिए देश के प्रत्येक 4×4 मीटर भूभाग के लिए यूनिक आईडी निर्धारित की गई है। प्रत्येक हिस्से के लिए 10 अंकों का यूनिक अल्फा न्यूमैरिक कोड निर्धारित किया गया है । पता प्रणाली की सटीकता के लिए यह एक बहुउद्देशीय कदम है। केवल डाक वितरण ही नहीं बल्कि अन्य सरकारी सेवाओं, ई-कॉमर्स और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में भी इससे बड़ा बदलाव आएगा।

संचार मंत्रालय के डाक विभाग ने दो डिजिटल प्लेटफॉर्म ‘अपना डिजीपिन जानें’ और ‘अपना पिन कोड जानें’ जारी किए हैं, जो भारत की पता प्रणाली और भू-स्थानिक शासन के आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अपना डिजिपिन और पिन कोड जानने के लिए इन पोर्टल पर जाना होगा।
अपना डिजीपिन जानें : https://dac.indiapost.gov.in/mydigipin/home
अपना पिन कोड जानें : https://dac.indiapost.gov.in/mypincode/home

शीघ्र ही इसके लिए एक मोबाइल एप भी जारी किया जाएगा।


सुब्रह्मण्यम भारती जयंती-भारतीय भाषा दिवस

आज महान कवि सुब्रमण्यम भारती जी की जयंती है।  आज 'भारतीय भाषा दिवस'  भी है। सुब्रमण्यम भारती प्रसिद्ध हिंदी-तमिल कवि थे, जिन्हें महा...