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Showing posts from June, 2025

असाहित्यिक घटना और साहित्य का अर्थ

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  पटना की असाहित्यिक घटना और साहित्य का अर्थ  किसी भी अमर्यादित घटना से समाज में रोष होना स्वाभाविक है । पर इस प्रकार की अनैतिक घटनाएँ क्यों हो रही है ? क्या इसके लिए केवल एक व्यक्ति दोषी है ? आप अपने चारों ओर नजर दौड़ाये और देखें किस प्रकार से हम सब आंकठ लोभ, लालच, काम-लिप्सा में डूबे जा रहे हैं । एक पूरी व्यवस्था इसे पोषित कर रही है । बाजार  और मीडिया हमारी सोच और भोग पर हावी है । स्त्री-पुरुष संबंध कॉमोडिटी में परिवर्तित हो रहे है । साहित्य, कविताएँ सब कुछ  नकारात्मक ।  हम जो कहते या सोचते हैं वह हमें परिभाषित नहीं करता, बल्कि हम जो करते हैं वह हमें परिभाषित करता है। ‘’   - जेन ऑस्टेन   जेन ऑस्टिन के इस उद्धरण को देखिये आपको पता चल जाएगा कि हमारा समाज क्या कर रहा   है । पटना की कथित अनैतिकता पर मचा बावेला उचित है । पर यही बावेला मचाने वाले बंगाल की जघन्यता पर मौन हो जाते है । स्त्री हिंसा कही भी हो वह अन्यायपूर्ण ही है । दुराचार   इस पृथ्वी पर सबसे बड़ा कलंक है । अत : सबसे बड़ा संकल्प हो लेखक, साहित्यकार की लेखनी देश, समाज के हित में समर्प...

अहमदाबाद विमान हादसे में जीवित बचा व्यक्ति-चमत्कार

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  हम सभी अक्सर जिंदगी और मौत को लेकर इन उद्धरणों को सुनते हैं।  ‘आनंद’ फ़िल्म का वह संवाद जिसे राजेश खन्ना ने अपने अभिनय से अमर कर दिया ।  “जिंदगी और मौत ऊपर वाले के हाथ में है जहांपनाह, जिसे ना आप बदल सकते हैं, ना मैं। हम सब तो रंगमंच की कठपुतलियां हैं, जिसकी डोर ऊपर वाले के हाथ बंधी है। कब, कौन, कैसे उठेगा, ये कोई नहीं जानता..!” आज गुजरात के अहमदाबाद में हुए विमान हादसा में  एयर इंडिया का जहाज अहमदाबाद हवाई अड्डे से लंदन के लिए उड़ान भरने के तुरंत बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इसमें कुल 242 लोग सवार थे। इसमें सवार गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी का भी निधन हो गया। पर ईश्वर की लीला देखिये कि इसी अहमदाबाद विमान हादसे में एक व्यक्ति अपनी जान बचाने में सफल रहा । जीवित बचा यह व्यक्ति ब्रिटिश नागरिक है जिनका नाम रमेश विश्वास है। जो विमान दुर्घटना के बाद खुद अपने पैरों पर चलते हुए गए। रमेश कुमार ने बताया कि "टेक ऑफ होने के 30 सेकेंड के बाद प्लेन क्रैश हो गया था"।  इसी घटना पर किसी अखबार में बहुत साल पहले पढ़ी एक घटना याद आ गई ।  घटना यह थी कि एक बस में सांप...

सटीक डिजिटल पता प्रणाली है डिजिपिन

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भारतीय डाक पत्तो प्रमुख आकर्षण रहे पिन कोड का युग अब नये रूप में आकार लेने को है ।  जी, हाँ अब आपके छ: अंकों के पिन कोड या डाक सूचकांक संख्या को भारतीय डाक विभाग ने डिजिटल युग के साथ कदम ताल करते हुए  इसके विकल्प के तौर पर 'डिजीपिन' नाम से डिजिटल पता पेश किया है। अब से देश में डिजीपिन नई पता प्रणाली होगी। पारंपरिक पिन कोड जहां बड़े क्षेत्र को कवर करते हैं, वहीं 10 अंकों वाला डिजीपिन सिस्टम आपके घर या व्यवसाय के सटीक स्थान को दर्शाता है। आइए जानते हैं कि पिन कोड और डिजीपिन में क्या अंतर है। किसी क्षेत्र या स्थान की पहचान के लिए भारतीय डाक विभाग द्वारा अब तक छह अंकों वाला पिन कोड  प्रयोग में लाया जा रहा था। पता प्रणाली में सटीकता लाने के लिए अब 10 अक्षरों का डिजिपिन जारी किया गया है। इसे आईआईटी हैदराबाद और इसरो ने विकसित किया है। डिजिपिन के माध्यम से देश के किसी भी स्थान  की सटीक डिजिटल पहचान और यूनिक आईडी सुनिश्चित की गई है। इसके आधार पर सुदूर गांव की छोटी-छोटी गलियों तक सटीकता से पहुंचा जा सकेगा। यानी इस डिजीपिन के जरिए आपके घर या व्यवसाय का सटीक स्थान पता किया जा सक...