असाहित्यिक घटना और साहित्य का अर्थ

पटना की असाहित्यिक घटना और साहित्य का अर्थ किसी भी अमर्यादित घटना से समाज में रोष होना स्वाभाविक है । पर इस प्रकार की अनैतिक घटनाएँ क्यों हो रही है ? क्या इसके लिए केवल एक व्यक्ति दोषी है ? आप अपने चारों ओर नजर दौड़ाये और देखें किस प्रकार से हम सब आंकठ लोभ, लालच, काम-लिप्सा में डूबे जा रहे हैं । एक पूरी व्यवस्था इसे पोषित कर रही है । बाजार और मीडिया हमारी सोच और भोग पर हावी है । स्त्री-पुरुष संबंध कॉमोडिटी में परिवर्तित हो रहे है । साहित्य, कविताएँ सब कुछ नकारात्मक । हम जो कहते या सोचते हैं वह हमें परिभाषित नहीं करता, बल्कि हम जो करते हैं वह हमें परिभाषित करता है। ‘’ - जेन ऑस्टेन जेन ऑस्टिन के इस उद्धरण को देखिये आपको पता चल जाएगा कि हमारा समाज क्या कर रहा है । पटना की कथित अनैतिकता पर मचा बावेला उचित है । पर यही बावेला मचाने वाले बंगाल की जघन्यता पर मौन हो जाते है । स्त्री हिंसा कही भी हो वह अन्यायपूर्ण ही है । दुराचार इस पृथ्वी पर सबसे बड़ा कलंक है । अत : सबसे बड़ा संकल्प हो लेखक, साहित्यकार की लेखनी देश, समाज के हित में समर्प...