सामाजिक निवेश-लघु विचार
अपनी निजी समस्याओं को सुलझाने के लिए सदैव करीबी मित्रों, परिजनों से ही सहायता लीजिए। आपसे नाराज़, परेशान हुए आपके भाई/मित्र/रिश्तेदार, पति-पत्नी सोशल मीडिया के तमाम मित्र/मित्राणी से अधिक विश्वासी हो सकते हैं। यह ज़रूरी है कि परस्पर सामाजिक रिश्तों को अवश्य निभाए। अंजान लोगों से इनबॉक्स में चैट करने से बचें। रिश्तों को बनाए रखने या मज़बूती के लिए एक-दूसरे से घर आया-जाया करें। परस्पर संबंधों को बनाए रखने के लिए हाल-चाल लेते रहा करिए और कभी-कभी तारीफ में कुछ लिखा भी कीजिये। यहीं सामाजिकता है। हमारे पुरखों ने इसे प्रेम, रिश्ता, नातेदारी का नाम दिया और हम पूँजीवादी युग में सामाजिक निवेश का नाम दे सकते हैं।
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