गणतंत्र दिवस की शुभकामना!

 





सभी भारतवासियों को गणतंत्र पर्व एवं वसंत पंचमी की हार्दिक बधाई और अनंत अशेष मंगलकामना! 

यह सुखद संयोग है कि आज विद्या, बुद्धि की अधिष्ठात्री देवी माँ सरस्वती की पूजन तिथि है। साथ ही आज का दिन हम सभी के लिए बेहद खास हैं क्योंकि आज ही के दिन यानी 26 जनवरी,1950 को हमने अपना संविधान अपनाया और राष्ट्र निर्माण की तरफ अपने कदम बढ़ाए।  आइए, आज हम अपने संविधान निर्माताओं द्वारा किए गए महान कार्य और उनकी दूरदर्शिता को नमन करें। 

26 जनवरी एक ऐसा दिन है जब प्रत्येक भारतीय के मन में देश भक्ति की लहर और मातृभूमि के प्रति अपार स्नेह भर उठता है। ऐसी अनेक महत्त्वपूर्ण स्मृतियां हैं जो इस दिन के साथ जुड़ी हुई है। 26 जनवरी, 1950 को देश का संविधान लागू हुआ और इस प्रकार सदियों की पराधीनता के बाद दुनिया के समक्ष भारत एक संप्रभुताशाली, समाजवादी, लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में अस्तित्व में आया। गणतंत्र दिवस का अवसर हमें देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले महान शहीदों की याद दिलाता है। पहली बार 21 तोपों की सलामी के बाद राष्ट्रीय ध्वज को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने फहराकर 26 जनवरी, 1950 को भारतीय गणतंत्र के ऐतिहासिक जन्म की घोषणा की थी। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति ने देश के पहले गणतंत्र दिवस के अवसर पर नागरिकों को जारी अपने संदेश में कहा था:- “हमें स्वयं को आज के दिन एक शांतिपूर्ण किंतु एक ऐसे सपने को साकार करने के प्रति पुन: समर्पित करना चाहिए, जिसने हमारे राष्ट्रपिता और स्वतंत्रता संग्राम के अनेक नेताओं और सैनिकों को अपने देश में एक वर्गहीन, सहकारी, मुक्त और प्रसन्नचित्त समाज की स्थापना के सपने को साकार करने की प्रेरणा दी। हमें इस दिन यह याद रखना चाहिए कि आज का दिन आनन्द मनाने की तुलना में समर्पण का दिन है– श्रमिकों और कामगारों परिश्रमियों और विचारकों को पूरी तरह से स्वतंत्र, प्रसन्न और सांस्कृतिक बनाने के भव्य कार्य के प्रति समर्पण करने का दिन है।" 

भारत अपनी 10,000 वर्ष पुरानी सभ्यता और संस्कृति के साथ सदैव अक्षुण्ण रहेगा। यह संस्कारों की भूमि है।  कभी रोम्यां रोला ने कहा था, ‘यूनानों, मिस्र, रोमां मिट गए जहां से कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी। यह बात है हमारे संस्कार, हमारी संस्कृति, हमारे भाव, विचार एवं भाषा की! इन्हीं मंगलकामनाओं के साथ, “भारत की सर जमी यूं ही दुल्हन बनी रहे! सारे जहां में धूम हमारी मची रहे !!

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !

वंदे मातरम्!

भारत माता की जय! 

आप सभी को पुन: गणतंत्र दिवस और सरस्वती पूजा की ढेर सारी शुभकामना🙏

डा. साकेत सहाय Dr Saket Sahay 

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