पाकिस्तानी जहर

 आज फिर पाकिस्तान से सनातन धर्म के विरुद्ध घृणा की खबरें आईं। यह कितना अफ़सोसजनक बात है कि सुदूर इसरायल-फिलीस्तीन संघर्ष पर आंसू बहाने वाले कथित मानवाधिकारवादी, बुद्धिजीवी अपने ही भारत से 75 साल पहले इस्लाम के नाम पर बंटे पाकिस्तान और भारतीय जवानों के खून से बने बांग्लादेश में कट्टरपंथियों के नंगे नाच पर मौन रहते हैं ? इनके सहिष्णु  विचार कहाँ चले जाते है? अविभाजित भारत की माटी पर हिंदुओं के कत्ले-आम पर इन सहिष्णु सौदागरों का खून क्यों नही खौलता? आज यह स्थापित सत्य है कि भारत को विभाजित करने का सबसे बड़ा हथियार सनातन धर्म, पंथ, हिंदुओं को जाति, वर्ण, भेद, भाषा  के आधार पर बांट दो। प्रारंभ बौद्ध, जैन, सिक्ख से होकर दलित तक । साथ ही मुस्लिम, ईसाई में से ज्यादातर जो इसी मिट्टी से उपजे है उन्हें भी यहाँ की परंपरा, भाषा, संस्कृति, संस्कार से काट दो। उन्हें इस प्रकार रंग दो की वे सांस्कृतिक रूप से अरब, तुर्क, रोम से प्रभावित हों। अंग्रेजी एवं अंग्रेजों ने यही रणनीति अपनाई । अब हम इस साजिश को अपनी नियति एवं मूढ़ता  की वजह से इतिहास का अंग मानकर स्वीकार कर रहे है। 

भारत तब तक एक रहेगा जब तक इसकी  संस्कृति जिंदा रहेगी। अफगानिस्तान, पाकिस्तान से भारतीयता समाप्त हो गई । अतः हम सब एक हो। हिंदु, मुस्लिम, ईसाई न बनें । हिंदु मुस्लिम सिक्ख ईसाई से पहले भारतीय बने। आप एक मानवतावादी के रूप में पाकिस्तान और बांग्लादेश में हो रहे धर्म विशेष के विरुद्ध हिंसा का विरोध करें। 

जय हिंद! जय भारत!! #भारतीयता #हिंदू

©डॉ साकेत सहाय

#साकेत_विचार

https://dainik-b.in/vGQYTiWZGsb

https://dainik-b.in/vGQYTiWZGsb

Comments

Popular posts from this blog

महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह को श्रद्धांजलि और सामाजिक अव्यवस्था

साहित्य का अर्थ

पसंद और लगाव