एक चमकते सितारे का अस्त हो जाना ..

एक चमकते सितारे का अस्त होना …. क्या रंगीन दुनिया अवसाद की ओर ले जाती है और मौत की ओर धकेलती है। आज सुशांत सिंह राजपूत का जाना बहुत कुछ कहता है। कुछ दिनों पूर्व रंगमंच कलाकार प्रेक्षा मेहता और उससे कुछ दिनों पूर्व पत्रकार रिजवाना तबस्सुम द्वारा आत्महत्या किए जाने की खबरें आईं थीं। हाल में घटित ये दुर्घटनाएं क्या संकेत देती हैं? क्या रंगीन दुनिया इंसानों में केवल सपने देखने का जज़्बा भर देती है , उससे अधिक कुछ नहीं। अपनी फिल्मों में उत्साही , साहसी , हिम्मती , खुशमिजाज और महत्वाकांक्षी भूमिका निभाने वाले सुशांत सिंह राजपूत द्वारा आत्महत्या किए जाने की खबर पर सहसा विश्वास नहीं होता। अपनी अभिनीत फिल्म ‘छिछोरे’ में अपने बेटे को प्रेरित एवं प्रोत्साहित करके आत्महत्या से रोकने वाले सुशांत खुद इस मोड़ पर आकर स्वयं को अपनी अंतिम यात्रा पर ले जाएंगे, वो भी मात्र 34 वर्ष की आयु में इस तरीके से भला किसे विश्वास होगा। नियति का दुष्चक्र कब, किसे, कहाँ ले जाएगा यह किसे पता होता है। कभी परदे पर महेंद्र सिंह धोनी के संघर्षपूर्ण सफर को जीवंत करने वाले अपन...