हिंदी के ऊपर प्रसिद्ध अहिंदी भाषी विद्वानों की उक्तियां
‘’ हम चाहते है कि सारी प्रांतीय बोलियां जिनमें सुंदर साहित्य की सृष्टि हुई है, अपने – अपने घर में (प्रांत) रानी बनकर रहे और आधुनिक भाषाओं के हार की मध्यमणि हिंदी भारत – भारती होकर विराजती रहे। ‘’ - गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर राष्ट्रभाषा के बिना आजादी बेकार है। - अवनींद्रकुमार विद्यालंकार। भारतीय भाषाओं के लिए यदि कोई एक लिपि आवश्यक हो तो वह देवनागरी ही हो सकती ह...