कहते है बिना विश्वास के कुछ नहीं होता, और इसी विश्वास पर दुनिया कायम है, मैंने इसी विश्वास पर चंद पंक्तियां लिखी है, आशा है आप सभी को पसंद आएगी...... 

विश्वास ..............

आज भी मौजू़द है दुनिया में
नमक की तरह ,
अब भी
पेड़ों के भरोसे पक्षी
सब कुछ छोड़ जाते हैं,
बसंत के भरोसे  वृक्ष
बिलकुल रीत जाते हैं,
पतवारों के भरोसे नाव
समुद्र लांघ जाती  हैं,
बरसात के भरोसे बीज
धरती में समा जाते हैं,
अंजाने पुरुष के पीछे
सदा के लिये स्त्री चल देती हैं।
मां ममता के पीछे
अपना सर्वस्व न्योछावर कर देती है।
मातृभूमि के लिए वीर
अपनी आहूति देते है।
यदि विश्वास नही होता तो
ये जमीं नही होती, ये आस्मां नही होता।
ये लोक का विश्वास है कि परलोक के सहारे
ये अपना भविष्य सुधारती है।
फिर क्यूं लोग पूछते है विश्वास क्या है,
लेकिन मैं तो कहता हूँ विश्वास ही सब कुछ है,
क्यूंकि विश्वास में आस है
और इसी आस में हम और आप है
हमारे रिश्तों की बुनियाद है।

                                       - साकेत सहाय

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