हिंदी मीडियम-
भारत की स्वतंत्रता के बाद वैचारिक राजनीति के पुरोधा के रूप में छा जाने वाले नेताओं में डॉ. राममनोहर लोहिया का नाम एक प्रमुख नाम है। उनके भाषण, लेख आज भी हमारा मार्गदर्शन करते रहते है। लोहिया जी ने भाषा के सवाल पर एक बड़ा आंदोलन खड़ा कर दिया था। उन्होंने साबित किया था कि हिंदी के मुकाबले अंग्रेजी कमतर ही है, परंतु उसके प्रति लोगों के मोह से वे दु:खी रहते थे। 'हिंदी के सरलीकरण की नीति' में उल्लेख करते है हिंदुस्तानी में करीब सात लाख शब्द हैंजबकि अंग्रेजी में करीब 2.5 लाख। इसके अलावा अँग्रेजी के शब्द गढ़ने की शक्ति नष्ट हो चुकी है जबकि हिंदी अपनी जबानी पर भी नहीं चढ़ी है। संसार की सबसे धनी भाषा है हिंदी, लेकिन बर्तनों पर धरे-धरे काई जम गई है। ये बर्तन माँजने पर ही चमकेंगे। लोहिया जी हिंदी-उर्दू एकता के हिमायती थे। वे हिंदुस्तानी की बात कहते थे।

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