कितनी कारगर होगी कालेधन की नई योजना?
केन्द्र सरकार ने कालाधन रखने वालों को स्वेच्छा से कालाधन घोषित कर इसे प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत जमा करने का एक और अवसर दिया है।  योजना के अंतर्गत कालेधन धारकों को करेंसी के रूप में रखी कालाधन और फर्जी खातों में पड़े पैसों को घोषित कर जमा करने का मौका दिया जा रहा है और इसके तहत उनकी पहचान पूरी तरह से गोपनीय रखी जाएगी।
इस योजना के तहत कालाधन घोषित करने वालों पर 50 फीसदी पेनाल्टी लगेगी।  साथ ही 25 फीसदी रकम को चार साल तक लॉक-इन पीरियड में रखा जाएगा।  इसके बाद बचे हुए धन को बतौर कर युक्त राशि के रूप में अपने खातों में जमा करवा सकते हैं।  सरकार के मुताबिक इसके तहत जो अपने कालेधन को घोषित नहीं करते।  पकड़े जाने पर उन्हें 77 फीसदी से लेकर 100 फीसदी तक टैक्स और पेनाल्टी अदा करना पड़ेगा।  इसके अलावा सरकार ने आयकर नियमों में भी सुधार करते हुए कर चोरी के रास्तों को बंद करने का फैसला किया है। साथ ही, विमुद्रीकरण के बाद उन सभी खातों के गहन जांच का भी फैसला किया गया है जिसमें बड़ी मात्रा में पैसा जमा किया गया है। 
वर्तमान सरकार ने सत्ता में आने के बाद से ही जनता की नजर में किए गए अपने वादे के मुताबिक काला धन निवारण हेतु कई कदमों की घोषणा की है।  जिसमें आईडीएस जैसी योजनाओं एवं विमुद्रीकरण जैसे कदमों के नाम लिए जा सकते है।  इसी कड़ी में इस योजना का नाम लिया जा सकता है।  पिछले बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने घरेलू काला धन के खुलासे के लिए           30 सितंबर तक का वक्त दिया था। इस योजना की समाप्ति के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री के अनुसार अघोषित आय घोषणा योजना के माध्यम से 64,275 लोगों ने 65 हजार 250 करोड़ रुपए की संपत्ति घोषित की। इससे पूर्व में भी वर्ष 2015 में विदेशी काला धन के लिए सरकार  ने योजना घोषित की थी।  जिसके तहत कुल 4164 करोड़ रुपये की रकम का खुलासा हुआ था। सरकार को 2400 करोड़ रुपये का टैक्स मिला था।
अब प्रश्न उठता है कि सरकार द्वारा कालेधन को बाहर लेने हेतु घोषित की गई यह नई योजना कितनी कारगर साबित होगी?  तो इसका जवाब आता है किसी भी योजना को सफल-असफल साबित करने में दो चीजों का बहुत बड़ा योगदान होता है पहला- सरकार की नीति दूसरा – यह योजना जिन लोगों के लिए लॉंच की गई हैं उनकी नीयत कितनी साफ है।  अगर ये दोनों साफ हो तो निश्चय ही यह योजना सफल साबित होगी। अगर सरकार की नीति साफ है अगर दूसरे की नीयत साफ नहीं है तो कोई भी योजना सफल नहीं हो सकती।    
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस ऐंड पॉलिसी के अनुसार, कालाधन वह आय होती है जिस पर टैक्स की देनदारी बनती है, लेकिन उसकी जानकारी आयकर विभाग को न देकर कर चोरी की जाती है। ऐसे में किसी भी योजना को सफल बनाने हेतु यह आवश्यक है कि काला धन को पैदा होने से पूर्व ही इसकी जड़ को काटा जाए।  और इसके लिए यह जरूरी है इसके स्रोत पर प्रहार किया जाए।
सरकार में पदस्थ या आम जनता को सभी को यह पता है कि काला धन कैसे पैदा होता है?  इसके लिए सबसे पहले सरकार को काले धन के महत्वपूर्ण स्रोत यानि, आपराधिक गतिविधियां- अपहरण, तस्करी, वन्य जीवों का शिकार, मादक पदार्थ, अवैध खनन, जालसाजी और घोटाले इत्यादि से जुड़े लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई कर आम जनता के समक्ष उदाहरण प्रस्तुत करना होगा।    
दूसरे प्रमुख स्रोत यानि सरकारी, गैर-सरकारी या व्यावसायिक संगठन के कर्मचारियों या बिजनेसमैन  की रिश्वतखोरी और चोरी के खिलाफ अत्यंत कठोर कार्रवाई जरूरी है।
और तीसरे प्रमुख स्रोत यानि कर बचाने के लिए अपनी आय की जानकारी आयकर विभाग को न देने वाले लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करना। काले धन की यह प्रमुख वजह है।  इसके लिए कर सुधार अत्यंत जरूरी है।  इस दिशा में जीएसटी एक कारगर कदम हो सकता है।  साथ ही सरकार द्वारा ज्यादा से ज्यादा लोगों को कर ढ़ांचे के अंतर्गत लाए जाने हेतु कदम उठाए जाने भी जरूरी है।
अमेरिकी थिंक टैंक जीएफआई की रिपोर्ट के मुताबिक काला धन विदेश भेजने के मामले में भारत चौथे नंबर पर है। केवल चीन, रूस और मैक्सिको जैसे देश काला धन बाहर भेजने में भारत से आगे हैं।  देश में भी आयात-निर्यात की आड़ में काले धन का गोरखधंधा सबसे ज्यादा होता है। आयात की रकम ज्यादा दिखाई जाती है, जबकि निर्यात की रकम कम दिखाई जाती है।   सोना नकदी में खरीदा जाता है और इसमें काला धन इस्तेमाल होता है। किसान विकास पत्र जैसे स्कीम में भी काले धन का इस्तेमाल किया जाता है। आयात-निर्यात के अलावा रियल एस्टेट, ज्वेलरी, फाइनेंशियल सेक्टर, शेयर बाजार एवं एनजीओ इत्यादि के जरिए काले धन का उपयोग बड़े पैमाने पर होता है। ऐसे में सरकार द्वारा काला धन निवारण हेतु घोषित यह योजना कितनी कारगर होगी? यह तो अभी भविष्य के गर्त में है। 
परंतु, इतना कहा जा सकता है कि सरकार ने कालाधन रखने वालों को स्वेच्छा से करेंसी के रूप में रखी ब्लैकमनी और फर्जी अकाउंट में पड़े पैसों को घोषित कर प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत जमा करने का एक और मौका देकर अपनी नीति स्पष्ट कर दी है। अब ऐसे सफेदपोश लोगों के पास मौका है कि अपनी नीयत स्पष्ट कर अपना काला धन प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत जमा कर इस मौका को हाथ से जाने न दें।      
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डॉ. साकेत सहाय

-मेल : hindisewi@gmail.com
  







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