राष्ट्रीय मतदाता दिवस
भारतीय निर्वाचन आयोग के स्थापना की 60 वीं वर्षगांठ के अवसर पर इस वर्ष 25 जनवरी को पहली बार राष्ट्रीय मतदाता दिवस के रुप में मनाया जा रहा है। 26 जनवरी से पहले इस दिवस की प्रासंगिकता बेहद सटीक बैठती है। क्योंकि किसी भी गणतांत्रिक देश की पहली पहचान मतदान का अधिकार है। ताकि वो अपने सही प्रतिनिधि का चुनाव कर सके।
हमारे देश में अशिक्षित लोगों की बहुत बड़ी आबादी निवास करती है। जिससे यहां लोकतांत्रिक अधिकारों के प्रति लोगों को जागरुक करना एक कठिन कार्य है। इसी उद्देश्य से मतदाताओं को और अधिक जागरुक बनाने और उन्हें मतदान करने के लिए प्रोत्साहित करने के मकसद के साथ मतदाता दिवस की शुरुआत गई है। इस अवसर पर नए मतदाताओं को एक बैज (बिल्ला) भी दिया जाएगा, जिसमें लोगो (प्रतीक चिह्न) के साथ नारा अंकित होगा- मतदाता बनने पर गर्व है, मतदान को तैयार हैं। मतदाता दिवस आयोजन के तहत देशभर में मतदान केंद्र वाले क्षेत्रों में 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के नए मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में दर्ज किए जाएंगे। गौरतलब है कि 1988 में संविधान (61वां संशोधन) अधिनियम द्वारा मतदान की उम्र 21 वर्ष से 18 वर्ष की गयी थी। लेकिन इसके बावजूद भी 18 वर्ष की आयु पार करने वाले मात्र 20 से 25 प्रतिशत युवाओं के नाम ही मतदाता सूची में दर्ज हो पाते हैं। पर मतदाता दिवस को मनाने के साथ अब चुनाव आयोग देशभर में फैले अपने 8.5 लाख मतदान केन्द्रों से हर साल एक जनवरी को 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले युवाओं की पहचान कर उन्हें मतदाता सूची में शामिल करेगा और 25 जनवरी को उन्हें विशेष बैज के साथ फोटो पहचान पत्र जारी किया जाएगा।
देश में पिछले कई सालों से युवाओं में मतदान के प्रति घटती लोकप्रियता और कम जागरुकता की वजह से परेशान चुनाव आयोग को पूरी उम्मीद है कि इस तरह के कार्यक्रम से देश में मतदान के प्रति युवाओं में जागरुकता फैलेगी और बाकी के लोग भी अपने मतदाता अधिकार का सही से उपयोग कर सकेंगे। आईए हम यह संकल्प करें -
'' लोकतंत्र में मतदान करना हम सभी का नैतिक दायित्व है। ''
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